Thursday, 18 February 2016

भारत के गवर्नर जनरल तथा वायसरॉय Governor General and Viceroy of India




भारत के गवर्नर जनरल तथा वायसरॉय Governor General and Viceroy of India 

ब्रिटिश भारत में गवर्नर जनरल का पद सर्वोच्च अधिकारी पद हुआ करता था, जिसपर सिर्फ अंग्रेजो का अधिकार था। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व कोई भी भारतीय इस पद पर नहीं बैठा।
1858 ई. तक गवर्नर जनरल की नियुक्ति ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा की जाती थी, 1857 के विद्रोह के बाद इनकी नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाने लगी।

बंगाल के गवर्नर Governor of Bengal - 


गवर्नरकाल
लार्ड क्लाइव Lord Clive1757 से 1760 एवं 1765 से 1767

लार्ड क्लाइव Lord Clive (1757-1760 एंव 1765-1767) - 

लार्ड क्लाइव ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया | लार्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का जन्मदाता माना जाता है| क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की व्यवस्था की, जिसके तहत राजस्व वसूलने, सैनिक संरक्षण एंव विदेशी मामले कम्पनी के अधीन थे, जबकि शासन चलाने की जिमेदारी नवाबो के हाथ में थी। क्लाइव के बाद, द्वैध शासन के दौरान वेरेल्स्ट (1767-1769) और कार्टियर (1769-1772) बंगाल के गवर्नर रहे|
1757 का प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) भी लार्ड क्लाइव के नेतृत्व में लड़ा गया।

बंगाल के गवर्नर-जनरल Governor General of Bengal-


गवर्नर जनरल
काल
वारेन हेस्टिंग्स Warren Hastings20 अक्टूबर 1773 से 1 फ़रवरी 1785
सर जॉन मैकफर्सन Sir John Macpherson (कार्यवाहक)1 फ़रवरी 1785 से 12 सितंबर 1786
लार्ड कार्नवालिस Lord Cornwallis12 सितंबर 1786 से 28 अक्टूबर 1793
सर जॉन शोर Sir John Shore28 अक्टूबर 1793 से 18 मार्च 1798
सर अलर्ड क्लार्क Sir Alured Clarke (कार्यवाहक)18 मार्च 1798 से 18 मई 1798
लार्ड वेलेजली Lord Wellesley18 मई 1798 से 30 जुलाई 1805
लार्ड कार्नवालिस Lord Cornwallis30 जुलाई 1805 से 5 अक्टूबर 1805
सर जॉर्ज बारलो Sir George Barlow10 अक्टूबर 1805 से 31 जुलाई 1807
लार्ड मिंटो Lord Minto31 जुलाई 1807 से 4 अक्टूबर 1813
मार्क्विस हेस्टिंग्स Marquess Of Hastings4 अक्टूबर 1813 9 जनवरी 1823
जॉन ऐडम्स John Adam (कार्यवाहक)9 जनवरी 1823 से 1 अगस्त 1823
लार्ड एमहर्स्ट Lord William Amherst1 अगस्त 1823 से 13 मार्च 1828
विलियम बटरवर्थ बेले William Butterworth Bayley (कार्यवाहक)13 मार्च 1828 से 4 जुलाई 1828
लार्ड विलियम बैंटिक Lord William Bentinck4 जुलाई 1828 से 1833

वारेन हेस्टिंग्स Warren Hastings (1773 ई. - 1785 ई.) - 

1773 ई. में रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा  वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया, जिसने बंगाल में स्थापित द्वैध शासन प्रथा को समाप्त कर दिया एंव प्रत्येक जिले में फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
हेस्टिंग्स के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकत्ता में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी।
हेस्टिंग्स ने बंगाली ब्राह्मण नन्द कुमार पर छूटा आरोप लगा कर न्यायालय से फाँसी की सजा दिलवाई।
प्रथम एंव द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही लड़े गए, प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775 - 1782 ई.) जोसलबाई की संधि (1782ई.) से समाप्त हुआ एंव द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1780-1784 ई.) जो मंगलोर की संधि (1784ई.)के द्वारा समाप्त हुआ।
हेस्टिंग्स के समय में 1784 ई. को एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल (Asiatic Society of Bangal) की स्थापना हुई।
हेस्टिंग्स के समय में ही बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (Board of Revenue) की स्थापना हुई।
हेस्टिंग्स ने 1781 ई. में कलकत्ता में प्रथम मदरसा की स्थापना की।
हेस्टिंग्स के समय में 1782 ई. को जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की।
वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही पिट्स इंडिया एक्ट (Pitt’s India Act) पारित हुआ, जिसके द्वारा बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना हुई|
पिट्स एक्ट के विरोध में इस्तीफ़ा देकर जब वारेन हेस्टिग्स फ़रवरी, 1785 ई. में इंग्लैण्ड पहुँचा, तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया। ब्रिटिश पार्लियामेंट में यह महाभियोग 1788 ई. से 1795 ई. तक चला, परन्तु अन्त में उसे आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

सर जॉन मैकफरसन Sir John Mecpherson (1785 ई. - 1786 ई.)

इसे अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।

लार्ड कॉर्नवालिस Lord Cornwallis (1786 ई. - 1793 ई.)

लार्ड कॉर्नवॉलिस को भारत में सिवल सेवा एंव पुलिस वयवस्था का जनक माना जाता है।
इसके समय में जिले के समस्त अधिकार जिला कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
कार्नवालिस के समय में 1790 से 1792 ई. में तृतीय आंग्ल-मैसूर (Anglo-Mysore War) युद्ध हुआ।
1793 में कार्नवालिस ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भूमि कर से सम्बंधित स्थाई बंदोबस्त पद्ति (Permanent Settlement)लागू की, जिसके तहत जमींदारो को अब भूराजस्व का लगभग 90% कंपनी को तथा लगभग 10% अपने पास रखना था।
कॉर्नवॉलिस ने जिले में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया।
1805 में गाजीपुर में कार्नवालिस की मृत्यु हो गयी, और वहीँ उसे दफना दिया गया।
इसकी याद में बने मकबरे को लाट साहब का मकबरा भी कहते हैं।

सर जॉन शोर Sir John Shore (1793 ई. - 1798 ई.)

अहस्तक्षेप नीति एंव खारदा का युद्ध सर जॉन शोर के काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
खारदा का युद्ध 1795 ई. में मराठो एंव निजाम के बिच लड़ा गया।
लार्ड वेलेजली (Lord Wellesley) 1798-1805
लार्ड वेलेज़ली जो अपने आप को बंगाल का शेर कहता था, 1798 ई. में बंगाल का गवर्नर जनरल बना।
लार्ड वेलेजली ने सहायक संधि की पद्ति लागु की।
नोट- भारत में सहायक संधि का प्रयोग वेलेज़ली से पहले फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
वेलेज़ली ने शांति की निति को छोड़कर युद्ध की निति का पालन किया था।
वेलेजली के समय में हैदराबाद, मैसूर, तंजौर, अवध, जोधपुर, जयपुर, बूंदी, भरतपुर और पेशावर ने सहायक संधि पर हस्ताक्षर किये।
वेलेज़ली ने 1800 ई. में नागरिक सेवा में भर्ती हुए युवकों को प्रशिक्षण देने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
वेलेज़ली के काल में ही चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. में हुआ जिसमें टिप्पू सुल्तान मार गया था।
इसके शासन काल में द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध 1803-1805 ई. में हुआ था।

लार्ड कॉर्नवालिस Lord Cornwallis 1805 ई.

1805 ई. में लार्ड कॉर्नवॉलिस का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ, परन्तु शीघ्र ही उनकी म्रत्यु हो गयी।

सर जॉर्ज वार्लो Sir George Barlow (1805 ई. - 1807 ई.)

1805 ई. की राजपुरघाट की संधि एंव 1806 ई. का वेल्लोर में सिपाही विद्रोह इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
राजपुरघाट की संधि 1805 ई. में धेलकार एंव सर जॉन वार्लो के मध्य हुई थी।

लार्ड मिन्टो Lord Minto (1807 ई. - 1813 ई.)

अमृतसर की संधि एंव चार्टर एक्ट इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
अमृतसर की संधि 25 अप्रैल 1809 ई. में रणजीत सिंह एंव लार्ड मिन्टो के मध्य हुई जिसकी मध्यस्थता मेटकॉफ ने की थी।
1813 का चार्टर एक्ट मिन्टो के काल में ही पास हुआ था।

मार्क्विस हेस्टिंग्स Marquess Of Hastings (1813 ई. - 1823 ई.)

हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1814-1816 ई. को आंग्ल नेपाल युद्ध हुआ,  इसमे नेपाल के अमरसिंह को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
मार्च 1816 ई. में हेस्टिंग्स एंव  गोरखों के बिच संगोलि की संधि के द्वारा आंग्ल-नेपाल युद्ध का अंत हुआ।
संगौली की संधि के द्वारा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखना स्वीकार किया गया और इस संधि के द्वारा अंग्रेजों को शिमला, मसूरी, रानीखेत, एवं नैनीताल प्राप्त हुए।
हेस्टिंग्स के ही कार्यकाल में तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1818-1818 ई.) हुआ, और 1818 में हेस्टिंग्स ने पेशवा का पद समाप्त कर दिया।

1817-1818 ई. में ही इसने पिंडारियों का दमन किया, जिसके नेता चीतू, वासिल मोहम्मद तथा करीम खां थे।
हेस्टिंग्स ने 1799 में प्रेस पर लगाये गए प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया।
इसी के समय में 1822 ई. को टैनेन्सी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम लागु हुआ


जॉन ऐडम्स John Adam 1823 ई.

जॉन एडम्स को 1823 ई. में गवर्नर-जनरल बनाया गया था। इस्ट इंडिया कॉम्पनी की सेवा के रूप में इनकी नियुक्ति अस्थाई थी।

लार्ड एमहर्स्ट Lord William Amherst (1823 ई. - 1828 ई.)

लार्ड एमहसर्ट के काल में 1824-1826 ई. को प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया था।
1825 ई. में ब्रिटिश सेना के सैनिक कमाण्डर ने बर्मा सेना को परास्त कर 1826 ई. में ‘याण्डबू की सन्धि’ की।
1824 ई. का बैरकपुर का सैन्य विद्रोह भी लॉर्ड एमहर्स्ट के समय में ही हुआ था।

विलियम बटरवर्थ बेले William Butterworth Bayley 1828 ई.

विलियम बटरवर्थ बेले को 1828 ई. में गवर्नर-जनरल बनाया गया था। इस्ट इंडिया कॉम्पनी की सेवा के रूप में इनकी नियुक्ति अस्थाई थी।

लार्ड विलियम बैंटिक Lord William Bentinck (1828 ई. -1835 ई.)-


लॉर्ड विलियम बैंटिक 1803 ई. में मद्रास के गवर्नर की हैसियत से भारत आया।
1833 ई. के चार्टर-एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर-जनरल बना दिया गया, व 1833 ई. में लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल बने।
लॉर्ड विलियम बैंटिक 1828-1833 तक बंगाल कअ गवर्नर एंव 1835 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा, जिसे 'विलियम कैवेंडिश बैटिंग' के नाम से भी जाना जाता है।
लॉर्ड विलियम बैंटिक के शासन काल में कोई युद्ध नहीं हुआ, एंव इसका शासन काल शांति का काल रहा था


गवर्नर जनरल
काल
लार्ड विलियम बैंटिक Lord William Bentinck1833 से 20 मार्च 1835
सर चार्ल्स मेटकॅाफ Lord Metcalfe20 मार्च 1835 से 4 मार्च 1836
लार्ड ऑकलैंड Lord Auckland4 मार्च 1836 से 28 फ़रवरी 1842
लार्ड एलनबरो Lord Ellenborough28 फ़रवरी 1842 से जून 1844
लार्ड हार्डिंग Lord Hardinge23 जुलाई 1844 से 12 जनवरी 1848
लार्ड डलहौजी Lord Dalhousie12 जनवरी 1848 से 28 फ़रवरी 1856
लार्ड कैनिंग Lord Canning28 फ़रवरी 1856 से 1 नवम्बर 1858

सर चार्ल्स मैटकाफ Lord Metcalfe or Charles Metcalfe (1835 ई. -1836 ई.)

सर चार्ल्स मैटकाफ़ 1835 से 1836 ई. भारत का गवर्नर-जनरल रहा था। चार्ल्स मेटकॅाफ में भारत में समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया, इस लिए मैटकाफ को भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।

लार्ड ऑकलैंड George Eden, 1st and last Earl of Auckland (1836 ई. - 1842 ई.)

लार्ड ऑकलैंड 1836 ई. में भारत का गवर्नर जनरल बना। लार्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (first Anglo-Afghan, 1838-1842 ई.) हुआ।
1839 ई. में ऑकलैंड ने कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई।
ऑकलैंड के समय में भारतीय विद्यार्थियों को डॉक्टरी की शिक्षा हेतु विदेश जाने की अनुमति मिली
आकलैण्ड के कार्यकाल में बम्बई और मद्रास मेडिकल कालेजों की स्थापना की गयी|

लार्ड एलनबरो Lord Ellenborough or Edward Law, 1st Earl of Ellenborough (1842 ई. - 1844 ई.)

एलनबरो की 1842 ई. में भारत के गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति हुई। एलनबरो के समय में प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्धसमाप्त हुआ। 1843 में एलनबरो ने चार्ल्स नेपियर को असैनिक एवं सैनिक शक्तियों के साथ सिन्ध भेजा। नेपियर ने अगस्त, 1843 में सिन्ध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश सम्राज्य में मिला लिया गया। 1843 के एक्ट – V के द्वारा दास-प्रथा का उन्मूलन भी एलनबरो के समय में हुआ।

लार्ड हार्डिंग Henry Hardinge, 1st Viscount Hardinge (1844 ई. - 1848 ई.)

लार्ड हार्डिंग 1844 ई. में भारत के गवर्नर जनरल बने। लार्ड हार्डिंग के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-1846 ई.)  हुआ। जो लाहौर की सन्धि के द्वारा समाप्त हुआ।
लार्ड हार्डिंग ने नरबलि-प्रथा पर प्रतिबंध लगाया
लार्ड डलहौजी James Broun-Ramsay, 1st Marquess of Dalhousie (1848 ई. - 1856 ई.)
लॉर्ड डलहौज़ी, जिसे 'अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी' भी कहा जाता था,1848 ई. में भारत का गवर्नर-जनरल बना।
लार्ड डलहौजी एक  कट्टर उपयोगितावादी एवं साम्राज्यवादी था, लेकिन डलहौजी को उसके सुधारों के लिए भी जाना जाता है|
लार्ड डलहोजी के समय में द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.) तथा 1849 ई. में पंजाब का ब्रिटिश शासन में विलय और सिक्ख राज्य का प्रसिद्ध हिरा कोहिनूर महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया।
डलहौजी के कार्यकाल में 1851-1852 में द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया और 1852 में बर्मा के लोअर बर्मा एंव  पिगु राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया|

 डलहौजी के कार्यकाल में ही भारत में रेलवे और संचार प्रणाली का विकास हुआ| इसके कार्यकाल में भारत में दार्जिलिंग को सम्मिलित कर लिया गया| लार्ड डलहौजी के कार्यकाल में वुड का निर्देश पत्र (Wood’s dispatch)आया,, जिसे भारत में शिक्षा सुधारों के लिए ‘मैग्नाकार्टा’कहा जाता है|
इसने 1852 ई. में एक इनाम कमीशन की स्थापना की, जिसका उदेशय भूमिकर रहित जागीरों का पता कर उन्हें छिन्ना था।

इसने 1854 में नया डाकघर अधिनियम (Post Office Act) पारित किया, जिसके द्वारा भारत में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन प्रारंभ हुआ| 
1856 ई. में अवध को कुशासन का आरोप लगाकर अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
1856 ई. में तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थान्तरित किया, और सेना का मुख्यालय शिमला में स्थापित किया।
डलहौजी के समय में भारतीय बंदरगाहों का विकास करके, इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिये खोल दिया गया| लार्ड डलहौजी के समय में ही हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम भी पारित हुआ|
इसने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया।
डलहोजी ने नर-बलि प्रथा को रोकने का प्रयास भी किया।


गवर्नर वायसराय
काल
लार्ड कैनिंग Lord Canning1 नवम्बर 1858 से 21 मार्च 1862
लार्ड एल्गिन Lord Elgin21 मार्च 1862 20 नवम्बर 1863
सर रॉबर्ट नेपियर Sir Robert Napier (कार्यवाहक)21 नवम्बर 1863 से 2 दिसम्बर 1863
सर विलियम डेनिसन Sir William Denison2 दिसम्बर 1863 से 12 जनवरी 1864
सर जॉन लॉरेंस Sir John Lawrence, Bt12 जनवरी 1864 से 12 जनवरी 1869
लार्ड मेयो Lord Mayo12 जनवरी 1869 से 8 फ़रवरी 1872
सर जॉन स्ट्रेची Sir John Strachey (कार्यवाहक)9 फ़रवरी 1872 से 23 फ़रवरी 1872
द लॉर्ड नेपियर The Lord Napier (कार्यवाहक)24 फ़रवरी 1872 से 3 मई 1872
लार्ड नार्थब्रुक Lord Northbrook3 मई 1872 से 12 अप्रैल 1876
लार्ड लिटन Lord Lytton12 अप्रैल 1876 से 8 जून 1880
लार्ड रिपन Lord Ripon8 जून 1880 से 13 दिसम्बर 1884
लार्ड डफरिन Lord Dufferin13 दिसम्बर 1884 से 10 दिसम्बर 1888
लार्ड लैंसडाउन Lord Lansdowne10 दिसम्बर 1888 से 11 अक्टूबर 1894
लार्ड एल्गिन Lord Elgin11 अक्टूबर 1894 से 6 जनवरी 1899
लार्ड कर्जन Lord Curzon6 जनवरी 1899 से 18 नवम्बर 1905
लार्ड मिन्टों द्वितीय Lord Minto II18 नवम्बर 1905 से 23 नवम्बर 1910
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय Lord Hardinge II23 नवम्बर 1910 से 4 अप्रैल 1916
लार्ड चेम्सफोर्ड Lord Chelmsford4 अप्रैल 1916 से 2 अप्रैल 1921
लार्ड रीडिंग Lord Reading2 अप्रैल 1921 से 3 अप्रैल 1926
लार्ड इरविन Lord Irwin3 अप्रैल 1926 से 18 अप्रैल 1931
लॉर्ड विलिंगडन Lord Willingdon18 अप्रैल 1931 से 18 अप्रैल 1936
लार्ड लिनलिथगो Lord Linlithgow18 अप्रैल 1936 से 1 अक्टूबर 1943
लार्ड वेवेल Lord Wavell1 अक्टूबर 1943 से 21 फ़रवरी 1947
लार्ड माउंटबेटेन Lord Mountbatten21 फ़रवरी 1947 से 15 अगस्त 1947

लार्ड कैनिंग Charles Canning or 1st Earl Canning (1858 ई. - 1862 ई.)

लॉर्ड कैनिंग, इसे चार्ल्स जॉन कैनिंग भी कहा जाता है।
कैनिंग 1856 से 1858 तक भारत  का गवर्नर जनरल था|
लार्ड कैनिंग भारत का अंतिम गवर्नर जनरल भी था| ये एक कुशल राजनीतिज्ञ और 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान भारत के गवर्नर जनरल रहे। कैनिंग 1858 में भारत के पहले वाइसराय बने।
कैनिंग के समय की मत्वपूर्ण घटना 1857 का सिपाही विद्रोह था।
कैनिंग के समय में इंडियन हाइकोर्ट एक्ट पारित हुआ, जिसके तहत कलकत्ता बम्बई और मद्रास में  एक-एक उच्चन्यालय की स्थापना हुई।
कैनिंग के समय में ही लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर 1857 में कलकत्ता, मद्रास, और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई|
1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ|
इसके समय में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 ई. में स्वतन्त्र रूप से लागु हुआ।

लार्ड एल्गिन Lord Elgin (1862 ई. - 1863 ई.)

1862 ई. में लार्ड कैनिंग के बाद लॉर्ड एलगिन प्रथम भारत का वायसरॉय बनकर आया।इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी-'वहाबी आंदोलन' का सफलतापूर्वक दमन।
लार्ड एल्गिन की 1863 ई. में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में मृत्यु हो गई।
लार्ड एल्गिन के बाद सर रॉबर्ट नेपियर (नवम्बर,1863 से दिसम्बर,1863) और सर विलियम डेनिसन (दिसम्बर,1863 से जनवरी,1864) भारत के कार्यवाहक वायसराय रहे।

सर जॉन लॉरेंस Sir John Lawrence, Bt (1864 ई. - 1869 ई.)


जॉन लॉरेंस ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीति का पालन किया, जिसे 'शानदार निष्क्रियता' के नाम से जाना जाता है।
1865 ई. में भूटान ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण किया।
इसके कार्यकाल में यूरोप के साथ संचार वयवस्था (प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा) (1869-1870) कायम की गयी।
सर जॉन लारेन्स के समय में उड़ीसा में 1866 ई. तथा बुंदेलखंड एवं राजपुताना में 1868-1869 ई. में भीषण अकाल पड़ा था।
लारेन्स ने सर जॉर्ज कैम्पवेल के नेतृत्व में एक 'अकाल आयोग' का गठन किया।
इसके कार्यकाल में पंजाब में काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया।

लार्ड मेयो Richard Bourke or The Earl of Mayo(1869 ई. - 1872 ई.)
लार्ड मेयो के कार्यकाल में भारतीय सांख्यिकीय बोर्ड का गठन किया गया।
भारत में अंग्रेजो के समय में प्रथम जनगणना 1872 ई. में लार्ड मेयो के समय में हुई थी।
मेयो के काल में 1872 ई. में अजमेर, राजस्थान में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।
1872 ई. में कृषि विभाग की स्थापना भी मेयो के काल में हुई थी।
लार्ड मेयो की एक अफगान ने 1872 ई. में चाकू मार कर हत्या कर दी।
लार्ड मेयो की मौत के बाद सर जॉन स्ट्रेची (फरवरी,1872 से फरवरी,1872) और द लॉर्ड नेपियर (फ़रवरी,1872 से मई,1872) तक भारत के कार्यवाहक वायसराय रहे।

लार्ड नार्थब्रुक Lord Northbrook (1872 ई. - 1876 ई.)

लॉर्ड नार्थब्रुक 1872 में भारत का वायसरॉय बने। 
इसके समय में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।
वह 'ग्लैडस्टोन' के विचारों का समर्थक और उदार दल का था। भारत में उसकी नीति "करों में कमी, अनावश्यक क़ानूनों को न बनाने तथा कृषि योग्य भूमि पर भार कम करने" की थी।
लार्ड नार्थब्रुक के समय में पंजाब में कूका आन्दोलन हुआ। नार्थब्रुक ने 1875 में बड़ौदा के शासक गायकवाड को पदच्युत कर दिया।
नार्थब्रुक के कार्यकाल में प्रिंस ऑफ़ वेल्स एडवर्ड तृतीय की भारत यात्रा 1875 में संपन्न हुई।
इसी के समय में स्वेज नहर खुल जाने से भारत एंव ब्रिटेन के बिच व्यापार में वृद्वि हुई।

लार्ड लिटन Lord Lytton (1876 ई. - 1880 ई.)

लॉर्ड लिटन प्रथम 1876 ई. में भारत के वायसरॉय बने।
इसका पूरा नाम 'रॉबर्ट बुलवेर लिटन एडवर्ड' था, एंव इनका एक उपनाम 'ओवेन मेरेडिथ' भी था।
यह एक प्रसीद उपन्यासकार, निबंध-लेखक एंव साहित्यकार था, साहित्य में ऐसे 'ओवेन मेरेडिथ' नाम से जाना गया।
इसमे समय में बम्बई, मद्रास, हैदराबाद, पंजाब एंव मध्य भारत में भयानक अकाल पड़ा।
इसने रिचर्ड स्टेची की अध्यक्षता में अकाल आयोग की स्थापना की।
लार्ड लिटन के कार्यकाल में प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया और एक राज-अधिनियम पारित करके 1877 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित किया गया।
लिटन ने अलीगढ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविधालय की स्थापना की।
इसके कार्यकाल में 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) पारित किया गया, जिसके कारण कई स्थानीय भाषाओँ के समाचार पत्र आदि को ‘विद्रोहात्मक सामग्री’ के प्रकाशन का आरोप लगाकर बंद कर दिया गया।
इसके समय में शस्त्र एक्ट (आर्म्स एक्ट) 1878 पारित हुआ, जिसमे भारतीयों को शस्त्र रखने और बेचने से रोका गया।
इसने सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु सिमा घटाकर 19 वर्ष कर दी।

लार्ड रिपन Lord Ripon (1880 ई. - 1884 ई.)

लार्ड रिपन 1880 से 1884 तक भारत के वायसरॉय रहे।
रिपन ने समाचारपत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए 1882 ई. में  वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया, जिस कारण इसे प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
रिपन ने सिवल सेवा में प्रवेश की अधिकतम आयु को 19 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
रिपन के काल में भारत में 1881 ई. में सर्वप्रथम नियमित जनगणना करवाई गई।
1881 ई. में प्रथम कारखाना अधिनियम रिपन के द्वारा लाया गया।
रिपन के समय में 1882 में शिक्षा के क्षेत्र में सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में हंटर आयोग (Hunter Commission) का गठन हुआ और 1882 में स्थानीय शासन प्रणाली की शुरुआत हुई।
1883 में इल्बर्ट बिल (Ilbert Bill) विवाद, रिपन के समय में ही पारित हुआ, जिसमे भारतियों को भी यूरोपीय कोर्ट में जज बनने का अधिकार दे दिया गया था।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को भारत का उद्धारक की संज्ञा दी।

लार्ड डफरिन Lord Dufferin (1884 ई. – 1888 ई.)

लार्ड डफरिन 1884 ई. में भारत के वायसरॉय बने।
डफरिन के काल में 28 दिसम्बर 1885 ई. को बम्बई में ए. ओ. ह्यूम के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
इसी समय बंगाल टेनेन्सी एक्ट (किराया अधिनियम), अवध टेनेन्सी एक्ट तथा पंजाब टेनेन्सी एक्ट पारित हुआ।
डफरिन के समय में तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्द हुआ और बर्मा को भारत में मिला लिया गया।
लार्ड डफरिन के समय में अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा का निर्धारण किया गया।

लार्ड लैंसडाउन Lord Lansdowne (1888 ई. – 1893 ई.)

भारत एंव अफगानिस्तान के बिच सिमा रेखा जिसे डूरण्ड रेखा के नाम से जाना जाता है, का निर्धारण 1893 ई. में लैंसडाउन के समय में हुआ।
इस रेखा का निर्धारण ब्रिटिश अधिकारी सर मोर्टीमर डूरंड (Sir Mortimer Durand) और अफगान अमीर अब्दुर रहीम खान (Abdur Rahman Khan) के बीच हुआ।
1891 ई. में दूसरा कारखाना अधिनियम लाया गया, जिसमे महिलाओं को 11 घंटे प्रतिदिन से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
लार्ड लैंसडाउन के समय में 1891 में एज ऑफ़ कन्सेंट बिल (Age of Consent Act) पारित हुआ, जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति के यौन कृत्यों के लिए सहमति की उम्र बढ़ा दी गयी, जिसमे लड़कियों की यौन सहमती की उम्र 10 वर्ष से बढाकर 12 वर्ष कर दी गयी| इससे कम उम्र में यौन सम्बन्ध बनाने पर इसे बलात्कार माना गया, चाहे वे विवाहित ही क्यों न हों।

लार्ड एल्गिन द्वितीय Lord Elgin Second (1894 ई. – 1899 ई.)

1894 ई. में एल्गिन द्वितीय भारत के वायसरॉय बने।
इसके काल में 1895-98 ई. के मध्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब एंव मध्य प्रदेश में भयंकर अकाल पड़ा।
लार्ड एल्गिन के कार्यकाल में भारत में क्रांतिकारियों की शुरुआत हुई, और पूना के चापेकर बंधुओं (Chapekar brothers) दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर और वसुदेव हरी चापेकर ने ब्रिटिश प्लेग कमिश्नर, डब्ल्यू. सी. रैंड (W. C. Rand) को गोली मारकर भारत की प्रथम राजनीतिक हत्या की।
"भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी" ये कथन लार्ड एल्गिन द्वितीय का है।

लार्ड कर्जन Lord Curzon (6 जनवरी 1899 से 18 नवम्बर 1905)











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